इस जगह बनने जा रहा है नया एयरपोर्ट, इन गांवों की जमीनें होंगी अधिग्रहित, मिलेगी खूब रकम

भारत में रक्सौल, बिहार में एक नए एयरपोर्ट की स्थापना के साथ एक बड़ा बुनियादी ढांचा विकास देखने को मिलेगा। यह परियोजना क्षेत्र में यात्रा को सुगम बनाने और आर्थिक प्रगति को प्रोत्साहित करने का वादा करती है। भूमि अधिग्रहण की योजनाएं पूरी हो चुकी हैं और निर्माण कार्य जल्द शुरू होने वाला है। इस परिवर्तनकारी परियोजना के बारे में यहां सभी जानकारियां दी गई हैं।
रक्सौल एयरपोर्ट: इतिहास और पुनर्जीवन योजना ✈
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित रक्सौल एयरपोर्ट का एक समृद्ध इतिहास है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान इसे एक सामरिक सैन्य हवाई पट्टी के रूप में विकसित किया गया था। अब इसे नागरिक एयरपोर्ट में बदलने की योजना है। छह दशकों बाद, यह बहुप्रतीक्षित पुनर्जीवन केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त पहल है।
➡️ मुख्य पड़ाव:
- मूल रूप से 1962 के संघर्ष के दौरान सैन्य उपयोग के लिए निर्मित।
- केंद्र और बिहार राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयास से पुनर्जीवन परियोजना शुरू।
- घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए तैयार किया जा रहा है, जिससे भारत-नेपाल संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।
भूमि अधिग्रहण: एक महत्वपूर्ण कदम 🏛
एयरपोर्ट के विस्तार के लिए छह गांवों – चिकनी, सिंहपुर, सिसवा, एकडेरवा, भरतमही, और चंदौली से 139 एकड़ भूमि अधिग्रहित की जा रही है। लगभग 400 भूमि मालिकों को उनकी संपत्ति के लिए उदार मुआवजा दिया जाएगा, जिससे निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।
विवरण | जानकारी |
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कुल भूमि की आवश्यकता | 139 एकड़ |
मौजूदा भूमि | 137 एकड़ |
शामिल गांव | 6 |
निगरानी प्राधिकरण | एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) |
परियोजना की स्थिति और सरकारी पहल 🛠️
केंद्र और राज्य सरकारें परियोजना को तेज़ी से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 6 दिसंबर 2024 को बिहार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इसके बाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 24 दिसंबर 2024 को यह सुनिश्चित किया कि एयरपोर्ट के लिए आवश्यक सभी भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।
➡️ आगामी कदम:
- भूमि अधिग्रहण का कार्य 2025 की शुरुआत तक पूरा होगा।
- एएआई की देखरेख में निर्माण कार्य शुरू।
- यात्री और माल ढुलाई सेवाओं के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का विकास।
आर्थिक और सुरक्षा लाभ 💼
रक्सौल एयरपोर्ट के संचालन से यह क्षेत्र एक प्रमुख आर्थिक केंद्र में बदल जाएगा। भारत-नेपाल सीमा के निकटता के कारण यह व्यापार, पर्यटन, और सुरक्षा के लिए एक रणनीतिक संपत्ति बनेगा।
आर्थिक लाभ:
- पास के कस्बों और गांवों में व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहन।
- निर्माण, विमानन और संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर।
- आतिथ्य, रिटेल और लॉजिस्टिक्स में निवेश को आकर्षित करना।
सुरक्षा लाभ:
- भारत-नेपाल सीमा पर निगरानी और प्रबंधन में सुधार।
- आपातकालीन और आपदाओं में त्वरित प्रतिक्रिया।
समयसीमा और प्रमुख जानकारी 📅
विवरण | जानकारी |
स्थान | रक्सौल, बिहार |
सीमा निकटता | भारत-नेपाल सीमा |
भूमि अधिग्रहण | 6 गांवों से 139 एकड़ |
पुनर्जीवन समयसीमा | 2026 तक पूरा होने की उम्मीद। |
प्रमुख भागीदार | केंद्र और बिहार राज्य सरकार, एएआई |
रक्सौल एयरपोर्ट क्यों महत्वपूर्ण है? ☁️
रक्सौल एयरपोर्ट कनेक्टिविटी में अंतर को भरने और भारत-नेपाल के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए तैयार है। यह उत्तरी बिहार में यात्रा बुनियादी ढांचे की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करेगा। व्यापार को बढ़ावा देने से लेकर अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों तक तेज़ पहुंच प्रदान करने तक, यह परियोजना प्रगति और संभावनाओं का प्रतीक है।